Devotees performing Santan Sukh Puja to seek blessings of Lord Shiva and Goddess Parvati.
Traditional Shiv-Parvati Puja for child blessing and happy family life as per Vedic rituals.

परिचय

संतान सुख पूजा भगवान शिव-पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है ताकि दंपत्ति को संतान प्राप्ति, स्वस्थ गर्भधारण और शिशु की सुरक्षा का आशीर्वाद मिल सके। इस ब्लॉग में आप जानेंगे कि यह पूजा कब, कैसे और किन सामग्रियों से करनी चाहिए, साथ ही इसमें प्रयुक्त मंत्र और हवन की विधि भी विस्तार से दी गई है।

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कब करें (शुभ समय)

सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि पूजा का समय सही होना चाहिए।

  • सोमवार, प्रदोष व्रत, सावन माह, महाशिवरात्रि, पूर्णिमा और अमावस्या की सुबह इस पूजा के लिए उत्तम मानी जाती है।
  • इसके अलावा, ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर व्यक्तिगत मुहूर्त भी निकाला जा सकता है।
  • ध्यान रखें कि भद्रा, ग्रहण या अशुभ योग के समय यह पूजा न करें, जब तक आचार्य इसकी अनुमति न दें।

पूजा सामग्री (Puja Samagri)

पूजा शुरू करने से पहले सभी सामग्री एक स्थान पर रख लें ताकि विधि के दौरान कोई व्यवधान न हो।

मुख्य सामग्री:

  • लकड़ी का पाटा, स्वच्छ कपड़ा, शिवलिंग या शिव-पार्वती की मूर्ति/चित्र, गंगा जल।
  • कलश, आम के पत्ते, नारियल, रोली, मौली (लाल धागा), अक्षत (चावल), सुपारी।
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर), बेलपत्र, फूल, धूप, दीपक, कपूर।
  • हवन सामग्री, घी, यज्ञ कुंड, रुद्राक्ष, संतान गोपाल यंत्र (इच्छानुसार)।

पूजा-पूर्व तैयारी

सबसे पहले स्नान कर लें और साफ, हल्के रंग के वस्त्र पहनें।

इसके बाद पूजा स्थल की शुद्धि गंगाजल या गौमूत्र से करें।

यदि संभव हो तो दंपत्ति दोनों एक साथ पूजा में शामिल हों और मन को शांत रखें।


चरण 1 – संकल्प

दाहिने हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर संकल्प लें:

“मैं (अपना नाम) अपने जीवन-साथी (नाम) के साथ संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह पूजा कर रहा/रही हूँ। भगवान शिव-पार्वती और मार्कंडेय महादेव कृपा करें।”

इसके बाद जल भूमि पर छोड़ दें।


चरण 2 – गणेश वंदना

पूजा की शुरुआत गणेश जी के पूजन से करें।

  • मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः”
  • दीप और धूप दिखाएँ, फिर कलश की स्थापना करें।

चरण 3 – कलश स्थापना

कलश में जल, आम के पत्ते और नारियल स्थापित करें।

  • मंत्र: “ॐ केशवाय नमः” 11 बार जपें। इससे पूजा में देवताओं का आह्वान होता है।

चरण 4 – शिवलिंग का अभिषेक

अब शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएँ, फिर पंचामृत से अभिषेक करें।

  • हर द्रव्य (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) के साथ “ॐ नमः शिवाय” का 21 या 51 बार जप करें।
  • अंत में स्वच्छ जल से स्नान कराकर बेलपत्र अर्पित करें।

चरण 5 – मुख्य मंत्र जप

अभिषेक के बाद मंत्र जप करें:

  • महामृत्युंजय मंत्र: 108 बार
  • संतान गोपाल मंत्र: 108 बार “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः”

चरण 6 – हवन

यदि संभव हो तो छोटा हवन करें।

  • कुंड में हवन सामग्री और घी डालें।
  • हर आहुति के साथ मंत्र के अंत में “स्वाहा” कहें।

चरण 7 – आरती और प्रसाद

अंत में “ॐ जय शिव ओंकारा” आरती करें, फिर प्रसाद बांटें।

इसके बाद परिवार के साथ भोजन करें और पूजा के बाद सकारात्मक माहौल बनाए रखें।


सावधानियाँ

  • पूजा के दौरान क्रोध, विवाद और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • गर्भधारण के बाद भी मासिक रूप से संक्षिप्त पूजा और मंत्र जप करते रहें।
  • चिकित्सा और धार्मिक उपाय दोनों का संतुलित पालन करें।

FAQs

क्या यह पूजा अविवाहित व्यक्ति कर सकता है?

हाँ, भविष्य की संतान के आशीर्वाद के लिए।

क्या यह पूजा घर पर संभव है?

हाँ, पंडित जी के मार्गदर्शन में।

क्या हवन अनिवार्य है?

नहीं, लेकिन संभव हो तो करना शुभ है।


निष्कर्ष

संतान सुख पूजा एक आध्यात्मिक साधना है जो सही समय, सही विधि और पूर्ण श्रद्धा के साथ की जाए तो जीवन में संतान सुख का मार्ग प्रशस्त करती है।


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